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Connection between insulin & fatty liver


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 09-Dec-2024 02:08 pmComment



Play with health


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 07-Jun-2024 01:36 pmComment



Loo lagna


लू लगना 

 

लू लगने से मृत्यु क्यों होती है? 

दिल्ली से आंध्रप्रदेश तक....सैकड़ो लोग लू लगने से मर रहे हैं। 

 

हम सभी धूप में घूमते हैं फिर कुछ लोगो की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है?

 

हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है।

 

पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है।

 

पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है।( बंद कर देता है )

 

जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है  और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है।

 

शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त मे उपस्थित प्रोटीन  पकने लगता है ( जैसे उबलते पानी में अंडा पकता है )

 

स्नायु कड़क होने लगते है इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं।

 

शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग  (विशेषतः ब्रेन ) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है।

 

व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक- एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है।

 

गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए  लगातार थोडा थोडा पानी पीते रहना चाहिए, और हमारे शरीर का तापमान 37° मेन्टेन किस तरह रह पायेगा इस ओर  ध्यान देना चाहिए।

Equinox phenomenon: इक्विनॉक्स प्रभाव अगले 5 -7 दिनों मे एशिया के अधिकतर भूभाग को प्रभावित करेगा।

 

कृपया 12 से 3 के बीच ज्यादा से ज्यादा घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें।

 

तापमान 40 डिग्री के आस पास विचलन की अवस्था मे रहेगा।

 

यह परिवर्तन शरीर मे निर्जलीकरण और सूर्यातप की स्थिति उत्पन्न कर देगा।

 

(ये प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है।)

 

कृपया स्वयं को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें।

 

किसी भी अवस्था मे कम से कम 3 ली. पानी जरूर पियें।किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम 6 से 8 ली.  पानी जरूर लें।

 

जहां तक सम्भव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें। किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है।

 

ठंडे पानी से नहाएं। मांस का प्रयोग छोड़ें या कम से कम करें।

 

फल और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें।

 

हीट वेव कोई मजाक नही है।

 

एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है।

 

शयन कक्ष और अन्य कमरों मे 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख कर  कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है।

 

अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें।

 

जनहित मे इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें।



 01-Jun-2024 01:54 pmComment



Aankhon ki lali


आंखों की लाली 

 

आंखों की लाली,

नशा भी हो सकती है

नशा नहीं होती हमेशा 

आंखों की लालिमा!

मुहावरा तो सुना होगा आपने?

आंखें तरेरना,आंखें लाल करना! 

ऐसा करना,गुस्से में पागल होना ही

           नहीं होता हमेशा,

        कन्जएक्तीवय्तिस की

        बीमारी भी हो सकती है!

    आंखों में खून का थाक्क जमना

             किसी नस का फटना 

               रक़्त्चाप के बढ़ने से, 

          रक़्तश्राव होने का संकेत भी

                     हो सकता है।

               बात इतनी सी ही नहीं,

         आंखोँ में आंखें डालकर तकना 

          जैसे रोमांस नहीं होता हमेशा!

             स्वाभिमान से,अभिमान से

    हिम्मत से,ज़ुर्रत से,आत्मविश्वास से

             बातें करना भी कहते हें इसे!

               

               जिसे अंग्रेज़ी में हम

             बॉडी लैंग्वेज कहते हें

        लेकिन डॉक्टर इसे अंधेपन 

       और रातौंधी जैसी आंखोँ की

     बीमारी के लक्षण भी बताते हें।

              साथ ही साथ वो हमें 

           नशा पीड़ितों के हरक़तों

           की झलक भी समझाते हैं।

     आओ आंखों में धूल झोंके बिना

             आंखों की लाली की

              गहराइयों को मापे,

        और नशा करने के लत के 

                  आदी होने के 

        परिणामों के जानकार बने,

    सतर्कता बरतएं और सजग रहें।

          आओ चलो आप सबको 

      दिखाय झांकी नशीली जहां की,

          रंगीन दिवास्वप्न सी लगती

       ज़हरीली खूनी पगलिस्तान की!

               नशे के दुनिया की,

          नशा के लत में नशे के धुन में,

              नशीली होती ज़िन्दगियाँ 

         जवाँ युवा वयस्क वृद्ध ही नहीं,

                 बच्चों की-रक़्तों के,

     ज़हरीली होते जाने की दास्ताँ की।

            यह दास्ताँगोई वास्तविकता है

                       इस नर्क़   की।

जिसे वो स्वर्ग समझ गवां रहे,

धन उम्र जीवन और खुशियोँ को

जीना छोड़ दिया घर परिवार में

घरवालों,मित्रों और समाज के लिए ।

यह जूनून मौकापरस्ती यामहत्वाकांक्षा 

     कुछ बड़ा कर जाने,कर दीखाने,

          उन्नति धन यश पुरस्स्कार 

                  पाने का नहीं।

या फिर अपना साम्राज्य बढाने का,

          युध्द करने और उसे 

            रोकने का भी नहीं।

               यह है,अपराध करने 

          और उसका सिरमौर बनने का।

               नशे का सौदागर बन 

              नशा बाँट नशाखोरी का 

                  धन्धा बढाने का। 

    नशे के पिनक में पड़े रहनेवालों को

  भिखारी बना कर, बच्चों को

चुराकर ,भिखरियोँ की सेना बनाने का,

उन्हें तड़ीपार कर ,

अन्तरराष्ट्रीय शृँखला

 और सत्ता बनाकर

 अक्षम होते युवाओं 

को भावनात्मक मन में,

अपराधवृती को बढाने के लिए 

उनमें आक्रामकता बढाने के लिए। 

नशे की लत लगाते हैं।

इसे बेचते - बिकवाते है।

खेल के मैदानों में,

खानों में,खदानों में,

खेत खलिहानोँ में,

राजनैतिक अखाड़ों में,

दंगल के धोबी-पछाड़ में,

बॉडी बिल्डिंग में,

कंप्यूटर-वीडियो गेम में,

नशाखोरी की ज़रुरत

समझाते हैं,शर्ते लगवाते हें,

लत लगने पर माल देते,बांटवाते है,

बीमार पढ़ने पर डॉक्टर 

बिमारियों की लम्बी लिस्ट बताकर

डी- ऐडिक्शन@ नशामुक्ति कैम्प भिजवाते है,वहां इलाज के लिए 

ड्रग्स थोड़ा सा देंगे।

रोग का इलाज जिससे रोग हुआ,

उसी से करेंगे।

पुलिस ने पकड़ा तो,

हमारे देश में एन डी पी एस ऐक्ट

1985 ज़रा सख्त है,

कोर्ट कचहरी मेँ,

मानवाधिकार वाले वकील को बुलाना,

वो जिरह करेंगे,

यूएन मतलब संयुक्त राष्ट्र के क़ानून और कुछ अन्य देशों में,

कैसे इसके उदार क़ानून बनाये गए हें,

बतलायेंगे,आपके पक्ष में दलील देंगे,

कहेंगे,लत लग जाए तो दवा के रूप में

इसका उपयोग करवाया गया है।

कहानी यहीं नहीं रूकती,

6 महिने की जेल,

10,000/-का जुर्माना लगे 

या एक साल की जेल 

और 20,000/-जुर्माना!

पूरा चक्र या दुशचक्र है,

एक गठजोड़ है,इन धंधेबाजों का,

राजनीति से लेकर

उपभोकताओं तक से,

पैसे-ऊपहार खिलाते और खाते हें।

नशे का कारोबार फैलाने में सहयोग पाते हैं,बस जागरुकता चाहिए कि 

कोई आपका इस्तेमाल ना करे।

शराब,ड्रग्स,सिगरेट,बीड़ी,जर्दा,

तम्बाकू,गुटका,पानमसाला,

सब सेहत और जेब के दुश्मन 

अपनी जान स्वयं बचाएंगे,

तभी अस्पताल पुलिस,थाने,

कोर्ट-कचहरी से बच पाएँगे।

जहाँ गलत होता देखे,उसे रोके।

पुलिस या सम्बंधित संस्था को खबर देंगे,करवाई होगी,तभी वाहवाही पाएगें।

समाज परिवारों के व नागरिकों के समूह से बनता है।

एक एक बूंद से घड़ा भरता है,

एक छेद से जहाज़ डूबता है,

अनेकों कहावतें हें,पर एकल 

और सामुहिक प्रयास हो।

समाजसुधार का दायित्व किसका है

यह समझ जायेंगे।

*कलमश्री विभा सी तैलंग *

31मई 2024



 01-Jun-2024 12:16 pmComment



Heart medical advise







 25-Sep-2022 05:41 pmComment



New disease among cattle







 24-Sep-2022 04:59 pmComment



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 19-Aug-2022 01:07 pmComment



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 19-Aug-2022 01:06 pmComment











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