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50 patte, 50 panne






50 patte, 50 panne



अब कब तक सहेंगे


आतंकी गतिविधियों में शहीद हुए और घायलों को समर्पित 1984 से पहले व अब तक
 
 
अब कब तक सहेंगे??
और अब कब तक सहेंगे...??
आतंक के साये में और ना जीएंगे!!
यह शुरुआत है एक जंग,
हर गलत के खिलाफ
जो हाथ मारने को उठे निर्दोष को
वो रोक दिए जाएंगे!!
आतंक मन पर हो या तन पर
अब और ना सहे जाएंगे,
अब और ना सहे जाएंगे
हमारी मनशक्ति भारी पड़ेगी
उन सब हथियारों पर
यह आनेवाले हर दिन में साबित कर बताएंगे
हम सिर्फ बातों के धनी
कागज़ के शेर नहीं
हम अब और ना सहेंगे!
आवाज़ रोज़ उठाएंगे और
इससे साबित कर बताएंगे??
कि पार्लियामेंट हो या देश का
 कोई भी हिस्सा
अब हम आंतक के काले साँप को
मन पर भी नहीं छाने देंगे!
हम तैयार हैँ किसी भी
 जाँच परख के लिए!
पर अब और कब तक सहेंगे....
अब और कब तक सहेंगे???
भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान,
चीन, अमरीका...
जो भी हो जवाब चाहिए???
अब हम आतंक  के साये में
और ना जीएंगे??
यह है शपथ!! यह है शपथ!!
आतंक, नक्सलवाद, उग्रवाद
चाहे कोई भी वाद हो
उसके "हिंसा " के आग में
शहीद हुए और जो उसके शिकार हुए
उन  सबको मेरी श्रद्धांजलि
मेरा तहे दिल से सलाम!
 
 
कलमश्री विभा सी तैलंग
 



 29-Jan-2025 10:16 pmComment





World Peace and War


Whispering of wind 
In whistling woods
Moonlit night of newyear
12o'clock bell announced
Of near by church and
Sleeping birds chipped
As if they knew a new dawn is
Few hours away....
 
Blessing,Health,Peace,and Prosperity 
Are the words World needed,but
Put in and Zelensky had
Something else in mind
(NATO and Biden,G-7 and India are catalysts
 Watching,reacting,warning,provoking??)
 
Are they trying to make the Peace!!??
Humanity is anxious!!)
 
20 February 2014 was the day
Russia invaded Ukraine 
As they could not digest history of
USSR split into many 
And making of their next bigger
"U" Raine SSR," named rebel and independent neighbour on 24th August 1991
 
Psychology behind it was same as
It was after partition of India on 15th August 1947
 
And creation of Independent Pakistan
P A day before
It was after partition of India on 15th August 1947
 
And creation of Independent Pakistan 
A day before ,and then making of Bangladesh in 1971
 
And now on 24th February 2022
Russia launched full scale invasion 
Of Ukraine mainland and reached till
It's capital...kyiv
 
As their hostility aggravated since 2014
Ukrainian revolution of dignity,
With support of Europe
After annexation of 
Creamea and part of Donna's
 from Ukraine
Which is illegal act
They are internationally 
recognized part of Ukraine .
 
The way East Pakistan 
was axed 
from west
Pakistan,
 
As an Independent Bangladesh 
in south Asia 
with support of sandwiched India 
 
Thus Jammu and Kashmir problem aggravated 
Leh and Ladakh has made roadway
To China fron Pakistan. 
China captured our Kailash mansarovar Land,Tibet problem escalated.
(We all know, Dalai Lama underground
Went in exile in India)(1959/31/march)
 
Created shadow Tibet in Dharamshala city
 
Of our Himachal Pradesh state,
In 1984 he tried once to visit Tibet 
But Chinese Military stopped him)
 
Pakistan occupied Kashmir is our Land 
Recognized as Indian territory
But illegally annexed by our neighbour Pakistan 
Who are supporting Islamic jihad terror outfits there
Now they have joined mainstream politics of Pakistan,
 
As a political party in their elections now
 
So as illegal immigrants of Bangladesh 
"In northeast, west Bengal and Bihar
Who has supports of
"Huji" jihadist terror outfits and naxalite
(We all know organizations like-SIMI
In madhya pradesh,Chattisgarh and IM@indian Mujahideen in uttar pradesh
Are local terror outfits helping,
Grooming,guiding and has terror links..
 
Are getting monetrally and ammunition helps from these naxalite groups
 
And terrorists groups from outside our border countries
Like Pakistan Afghanistan,Nepal,China,Bangladesh,Myanmar 
Rohingya's etc,some are called extremists also)
 
Putin is backing Pro-Russian separatist fighters of Donetsk People Republic
 
And the Luhansk People's republic 
In war Who are fighting Ukrainian Military 
In an armed conflict for control over eastern Ukraine.
 
Thoughts are flowing like a free wind and stream
Turning to be a storm or Hurricane 
Destructions and devastation.
 
Pain,cry anguish and ambitions
Can't go hands in hand
 
But this is one reality of life
Russia has their own reasons to fight
Ukraine has their own reasons to resist
Both are offensive and defensive??
 
Just see who all play the Catalysts??
Let's pray that Peace must prevail
In time of when we are fighting against 
Epidemic corona,worldwide....
We do not need...
 
War to became endemic!!
 
 
Kalamshri vibha c tailang
 



 29-Jan-2025 10:15 pmComment





रिक्तता का दुख


हर रोज़
देखती थी
पेड़ में लगी
उस डाली को
आज वह नहीं है
और
उसके स्थान पर
एक  आपरिमाणित
शून्य पसर गया है
वह स्वयं ही
टूटकर गिर गई होगी
पिछली रात
क्योंकि, सूखी डाल का टूटना
या पेड़ से लगे रहना
समानार्थी परिस्थितियाँ हैँ
फिर भी, मुझे दुख है
मैं यह जानती हूँ
यह दुख
सूखी डाली के टूट जाने का नहीं
बल्कि उस रिक्तता का है
जो किसी की भी शाश्वत
अनुपस्थिति से
निर्मित /उत्पन्न होती है!
 
 
कलमश्री विभा सी तैलंग  



 29-Jan-2025 10:04 pmComment





हमारी आँखों में ख़्वाब है, विषाद भी, पीड़ा भी


15 अगस्त 2022,
हर वर्ष की ही तरह
स्वतंत्रता दिवस का फिर आगमन हुआ,
लाल किला के प्राचीर से
उमीदें जगाई गयी
सपने जगाये गए,
हर साल क़ी तरह
कुछ पुराना गिनाया गया
कुछ नया बताया गया
कुछ सच था, कुछ अर्धसत्य था
कुछ कपोल कल्पना, हमेशा क़ी तरह
जिसे हम हाइपथेटिकल कहते हैँ,
यानि संभावित बातें,
बड़ी बड़ी संभावनाएं जताई गयी
छोटे छोटे कदम भी सुझाये गए!
यह 'नया भारतवाली बात थी ',
युवा भारतवाली, यंग इंडिया,
जवान हिंदुस्तानवाली'......
पर इस घोषणाओं के पिटारे में
महिला, पुरुष, बच्चे, बूढ़े,
अर्धनारी, अर्धपुरुष,
सबके लिए दीवास्वप्न के जुमले थे!
और फिर मिडिया क़ी परिचर्चाएं,
उटोपिया क़ी परिभाषा पर विचार विमर्श
मैं सुबह उठी थी, देखा
 
उगते सूरज क़ी लालिमा
मात्र आँखों को सेंकती ही नहीं
उसकी अरुणनीमा ऊर्जा देती है
फ़िज़ा मैं हौले -सी बहती,
बयार के स्पर्श का एहसास,
मेरे अंतर्मन को,
तर करता गया!
आज क्या है यह रुमानी दस्तक़,
जो वक़्त के करवट बदलने का
आगाज़ -सा लगता है
यह पूर्वांभास
मेरी नासिकओं में
भीगी मिट्टी क़ी
सोंधी खुशबू क़ी भांति
समाती जा रहीं है,
रोमांचित हो गयी हूँ में,
वर्तमान का पल,
कल
इतिहास बन जाए,
सोचती हूँ,
उसे शब्दों और लफ़्ज़ों के
सांचे में ढाल कर 
बिखरने से बचा लूँ!
वक़्त,
मुट्ठी में बंद रेत क़ी भांति
फिसल जाए,
उस से पहले
बदलते हवाओं के
रुख को संभाल दूँ!
सोचती हूँ, आज कुछ नया करूँ,
सबको साथ ले कर
"एक नये पहल " का एलान कर दूँ,
यह ईज़ाद 'आज़ादी का ',
दूसरी आज़ादी क़ी लड़ाई का आगाज़,
अनुठे और नये अंदाज़ में
नया भारत, इंडिया, हिंदुस्तान के लिए,
यह कन्हैय्या क़ी आज़ादी नहीं
तमाम बुराइयों के जड़
अशिक्षा से आज़ादी
बेरोज़गारी से आज़ादी
कुरीतियों से आज़ादी
अपने आसपास होनेवाली
हर सामाजिक विकारों से आज़ादी
आसमाजिक दुराग्राही, आतंकी
अपराधों से आज़ादी
नाकामियों से आज़ादी
उपलब्धियों के अवरोधकों से आज़ादी
गिनती अनगिनत है,
पर बेड़ियों के संग आगे बढ़ने क़ी आज़ादी,
व्यवस्था में सुधार क़ी आज़ादी
इस साल क्या नया आयाम जोड़ सके
आधुनिककरण के दौर में
पारम्परिक का परित्याग किये बिना
उसे परिषकृत कर
आगे बढ़ने क़ी आज़ादी!
ओ!विषाद क़ी आत्मा,
इस लोक में मानवी आसुओं
का कोई अंत भी है?
अथवा कि उन विशाल आँखों में
अब भी वैसे ही पहाड़ियों
और सूने आकाश झाँकते हैँ?
उन रहस्यमई आँखों में क्या था?
अभी वे आँखें क्या देख रहीं हैँ?
उलझन, तड़पन, बिखलन, वेदना
और
इन सबको ढँकती
बेबसी कि वह चादर,
जो नियति का रूप लिए
हमारे समक्ष खड़ी थी!
ये वही नयन जिनमें,
मैं अपने सुख का प्रतिबिम्ब
देखा करती थी!
उसकी सीमाएं आईने से
कहीं ज़्यादा व्यापक थीं!
मुझे आइना नहीं अच्छा लगता,
जोकि सिर्फ सतही प्रतिबिम्ब
दर्शाता है!
तुम्हारे नयनों में नहीं होती!
ये वही नयन हैं,
जिनमें खुद को मैं देखा करती थीं!
और खुद से संलग्न सारे सपनों को!
इसीलिए शायद मैं अपने सपनों को
मरने नहीं देना चाहती,
क्योंकि वे तुम्हारी आँखों से देखे थे!
तुम्हारी अभिव्यक्ति के लिए,
तुम्हारे अधर भले ही ना हिले हों,
मगर तुम्हारे नेत्र -ज्योति
के पीछे छिपा,
वह अंधकारयुक्त संसार
मेरी दृष्टि -पथ के बाहर नहीं!
उस क्षण होठों की ख़ामोशी में
जो छिप गया था,
वह नयनों की राह बाहर निकल कर 
मेरे ह्रदय में प्रवेश कर गया!
तब से लेकर आज तक,
यानि अभी तक,
कभी नहीं मिली वह रातें
 जब मैं चैन से सोया करती थीं!
काश!कि तुम भी देख पाते
अपनी उस नयन भंगिमा को
उसमें प्रयुक्त अनेकानेक
भावों के जटिल संगम को
जिनको सुलझाने की चाह में
मैं खुद उलझती चली जा रही हूँ!
प्रकृति के गोद में बहती
नदियों की भांति
रंगीन वादियों के स्वर्गनुमा
आगोश में
पर्वतों के पीछे मनोरम पर्वत शिखरों
और उगते सूर्य के तेज़ के समान
 दिव्या भावनाओ
को जागृत करनेवाली
दैवीय शक्तियों 
से ऊर्जावान हो
प्रकृति का संरक्षण करते हुए,
प्रकृति के नियमों  को धारण कर
आगे बढ़ने का प्रण ले कर
उसके सहयोग और उपयोग से
नये ऊर्जा का निर्माण करें,
अंदुरुनी भी,
और बाहरी भी!
वो आज़ादी जिसके हर आगाज़
हर कदम की आहट,
अंदर तक दिल को प्रसन्नचित करें
और
कोई नया कदम बढ़ाने को प्रेरित भी!
 
 
कलमश्री विभा सी तैलंग 
 



 29-Jan-2025 09:42 pmComment





Beti bachaao - Part 1







 27-Jan-2025 06:24 pmComment





Comments

saurabhchoudhary1234@gmail.com
Very good poem.



मेरे कंधों पर है


मेरे कंधों पर है,
युवाओं के रक्त का बोझ!
आज का सच
भाई मेरे
कब तक झुठलाओगे
पेट की आग को
कब तक बहलाओगे
अंताड़ियों के ऐठन को
क्या तुम्हारे मन में
कोई विरोध नहीं होता?
आखिर कब तक रहोगे 
इस कांच के घर में?
अपने पिता और उनके पिता भी
इसी कांच के घर में रहे
बाकी सांस लेने उन्हें
हवा भी मांगनी पड़ी थी
मगर अब नहीं
होगा मुझसे
बेंत बनना,
 कि जिधऱ भी झुकाया जाएगा
उधर झूकूंगी
मेरे कंधों पर है
युवाओं के रक्त का बोझ
मेरी आँखों में जल रहा है
प्लाश का वन
रोम रोम में दुखता है
ताज़े सपनों का लाल लहू
एक सवाल फिर मेरे
मन को रौंदाता  है
 
कैसे लहूलुहान हो गए
काँटों के वन में
फूलों के सुहाग?
क्यों बैरन चिट्ठी से फिर रहे हैँ
खाली हाथ लोग?
सोचती हूँ,
बस्ता का बोझ कितना भारी था
पर कितनी हल्की हो गयीं है ज़िन्दगी!
पर मैंने सीख लिया है,
कि अब पेट को पेट
और रोटी कहूँगी
क्योंकि मैंने महसूस किया है
पेट की आग को
देखा है
भूख और रोटी के महायुद्ध को
और इसलिए
मैंने जान लिया
कि भूख फूल से
या कागज़ से नहीं
रोटी से बुझती है!
यही है मेरे भाई,
आज का सच!
 
 
कलमश्री विभा सी तैलंग



 27-Jan-2025 06:22 pmComment





Comments

saurabhchoudhary1234@gmail.com
Very good poem.













































































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